ये परदेश की लड़कियां
ये परदेश की लड़कियां कितनी बेखोफ़ होकर सात समंदर पार होकर बेख़ौफ़ चली आती है परिंदो की तरह आजाद होकर
Read Moreये परदेश की लड़कियां कितनी बेखोफ़ होकर सात समंदर पार होकर बेख़ौफ़ चली आती है परिंदो की तरह आजाद होकर
Read Moreऐ बारिश में भीगें हुए मेरे शहर तुझे पता भी हैं आज तू कितना खूबसूरत लग रहा है तेरी गलियों
Read Moreफिर से किसी रेल के डिब्बे में आ बैठ मेरी बगल या सामने वाली सीट पर एक अजनबी की तरह
Read Moreजिंदगी के सफ़र में हमसफ़र ढूंढ़ती मेरी आँखें तुम पर आकर रुकी थी तुम्हे देखा तो लगा था कि मुकम्मल
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