ज़िद्दी परिंदा इंसान
“उम्मीदों से बँधा एक ज़िद्दी परिंदा है इंसान, जो घायल भी उम्मीदों से है और ज़िंदा भी उम्मीदों पर
Read More“उम्मीदों से बँधा एक ज़िद्दी परिंदा है इंसान, जो घायल भी उम्मीदों से है और ज़िंदा भी उम्मीदों पर
Read Moreकभी माँ बनकर जन्म दिया, कभी बहन बनकर राखी बाँधी, कभी सुहागन बनकर घर बनाया, कभी पुत्री बनकर गौरवान्वित करवाया।
Read More“आज़ क्या खाना बनाने वाली नहीं आयेगी?” सासु माँ बहू विभा से पूछती हुई रसोई से बाहर आती हैं। “नहीं
Read Moreइधर भी रंग, उधर भी रंग, जिधर देखूँ रंग ही रंग, हर किसी के ऊपर छाया रंगों का त्योहार। पूछे
Read Moreदोनों भक्त मंदिर प्रांगण में खड़े थे. पहला कुछ देर तक मंदिर की भव्यता और मूर्ति की सौम्यता को निहारने
Read Moreमैं हिंदू हूँ या मुस्लिम हूँ, पर भारत की वासी हूँ, बंद करो तकरार मंदिर-मस्जिद का अब प्यारे, गीत वतन
Read Moreनया साल पहला त्योहार नई उमंग स्नान, दान खिचड़ी पकती एकता बनी देव जाग्रत उम्मीदों की पतंग करें नमन मौलिक
Read Moreनव वर्ष में अपने लोंगों के भोजन में कुछ चीज़ें शामिल करके हम उनका स्वास्थ्य ठीक रख सकते हैं। उसके
Read Moreरमेश और नरेश कक्षा में आते ही झगड़ा करने लगते। मास्टर जी उनके व्यवहार से बड़ा परेशान हो जाते और
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