ग़ज़ल – साजिशें
अंधेरों ने की है साजिशें, मिल के हवाओं के साथ। दिया हूँ जलता रहूँगा, दोस्तों की दुआओं के साथ। हो
Read Moreअंधेरों ने की है साजिशें, मिल के हवाओं के साथ। दिया हूँ जलता रहूँगा, दोस्तों की दुआओं के साथ। हो
Read Moreकब तक भटके परदेश में, घर आए। जहाज के पंछी आखिर, जहाज पर आए। कोई बचपन न भटके रोट की
Read Moreये पावन उत्सव नेह का, रक्षापर्व आया है। रेशम की डोर से लिपटा , रक्षापर्व आया है। सावन की पुरवाई
Read Moreसफर कितना लम्बा है ये न कहो दोस्तों। मंजिल कितनी हसीन है ये सोचो दोस्तों। ये पथरीले रास्ते सब आसान
Read Moreकभी दश्त में हूँ, कभी राहे गुलजार में हूँ। सूखा पत्ता हूँ, इन हवाओं के ईख्त्यार में हूँ। ये न
Read Moreजब न ढले दर्द भरी दुपहरी, तुम चले आना। जब मुस्कुराए संध्या सुंदरी, तुम चले आना। राह तकते तकते शाम
Read Moreन आगे न पीछे, चलिए, वक्त के साथ साथ। दोस्तों खुद को बदलिए, वक्त के साथ साथ। कभी कभी जीत
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