व्यंग्य : महाकवि मूसल की नारी चेतना
महाकवि मूसल का काव्य नारी सुलभ भावनाओं तथा उसकी समग्र चेतना से सराबोर रहा है। उनकी चेतना का आलम यह
Read Moreमहाकवि मूसल का काव्य नारी सुलभ भावनाओं तथा उसकी समग्र चेतना से सराबोर रहा है। उनकी चेतना का आलम यह
Read Moreवे एक नंबर के ईमानदार आदमी थे। किसी का कार्य किए बिना कुछ नहीं लेते थे। उनके ऐसा भी नहीं
Read Moreवे इतने बड़े थे-इसलिए कभी भी अपनी बड़ाई आप नहीं करते थे। सदैव मुस्कुराना और कभी-कभार चेहरे पर गंभीरता लगा
Read Moreभैयाजी मंत्री बन गए थे। उन्हें बधाई देना मेरे लिए लाजमी था, सो उनके निवास पर पहुँचा तो वे प्लेट
Read Moreआज हमारे बीच गाँधी होते तो रंज और मलाल से अपना सिर पकड़ लेते। आज न तो उनके अनशन की
Read Moreमुझे एक ऐसे रिसर्च स्कोलर की आवश्यकता है, जो मेरे साहित्य पर गहराई से शोध करके अपने लिए पी. एच.
Read More