क्या कहूँ !! क्या कहूँ मैं ???
क्या कहूँ!! क्या कहूँ मैं??? मूकदर्शक हूँ मैं ह्रदय से अधीर निःशेष मन प्रवेश कर चुका है तुम्हारा सुन्दर वेश
Read Moreक्या कहूँ!! क्या कहूँ मैं??? मूकदर्शक हूँ मैं ह्रदय से अधीर निःशेष मन प्रवेश कर चुका है तुम्हारा सुन्दर वेश
Read Moreउन्मुक्त मन का आयतन उस निर्धारित परिमाप से कहीं विस्तृत…. जिसे नियति ने नियत किया पर हर दिन उस स्वपनिल
Read Moreमैं एक गुत्थी अनसुलझी कभी विस्मित कभी आश्चर्य कभी होती भौचक्की कभी लफ्ज़ कभी मर्म कभी सख्त कभी नर्म कभी
Read More1 चल रहे थे हम अकेले मिल गया कोई अचानक राह के सुने चमन में खिल गया कोई अचानक मौन
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