नदियों के जाल में
इस नदी पर, कभी पुल बनाना नहीं, क्यों कि उसपार, ऐसा ठिकाना नही । मेरे हृदय को ही, वो बेचकर
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Read Moreकैसे सोचूँ मैं, सबकी, बताओ मुझे- कोई, इंसान एक, ढूंढ लाओ मुझे । जिसके अन्दर, समन्दर भावों का हो ऐसे
Read Moreअब तो गलियों में आकर ही रहने लगे हैं- ये भेड़िये, आदमी खुद को कहने लगे हैं । कल अहंकार
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