हर अपराध की दोषी स्त्री ही क्यों?
यह तथ्य अत्यंत विचारणीय है ,कि हमारे समाज में आज भी स्त्री और पुरुष के मध्य भेदभाव किया जाता है।
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Read Moreआज के युग में प्रायः यह देखा जा रहा है, कि पढ़े-लिखे परिवारों में भी धार्मिक कर्मकांडों जैसे -मूर्ति पूजा
Read Moreक्या है मानसिक स्वास्थ्य– आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य अत्यधिक प्रभावित होता है। ‘अवसाद’ मानसिक रोग
Read Moreदिलकश-दिलफ़रेब है चाँदनी रात, दूध से नहाई है मौसम ए हयात। तुम चुप रहो, हम भी रहें ख़ामोश , आँखों
Read Moreवर्जिनिटी टेस्ट आधुनिक युग में बहुतायत में प्रयुक्त होने वाला शब्द है। इस शब्द का हिंदी रूपांतरण “कौमार्य परीक्षण” होता
Read Moreआज हम एक ऐसी महिला खिलाड़ी के जीवन की कहानी सुना रहे हैं, जिन्होंने टोकियो ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में भारत
Read Moreमुझे शिकायत है आज की आधुनिक उस पीढ़ी से जो अपने संस्कारों, मूल्यों,नैतिक दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ हो
Read Moreआधुनिक युग में व्यक्ति भौतिकवादी विचारों का शिकार हो चुका है, आज हम अपने माँ-बाप की सेवा उनके जीते जी
Read More‘लम्हों की खामोशियाँ’ शाहाना परवीन का प्रथम काव्य संग्रह है । शाहाना जी को बचपन से ही साहित्य में विशेष
Read Moreयुद्ध अरि से लड़ने जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर, तन मन न्यौछावर कर जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर। एकता के
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