सूखे दरख्त की पीड़ा
हां!मै समझ सकती हूं,नदी के किनारे अब तक खड़े,उस सूखे दरख्त की पीड़ा,….. जिसने जाने कितने सावन अपने भीतर सोखे,
Read Moreहां!मै समझ सकती हूं,नदी के किनारे अब तक खड़े,उस सूखे दरख्त की पीड़ा,….. जिसने जाने कितने सावन अपने भीतर सोखे,
Read Moreहां!मैं भी समझती हूं,..“अपेक्षा ही उपेक्षा की वजह हैं”पर तुमने कभी ये सोचा अपेक्षा की वजह क्या है??? शायद तुम्हे
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