इंसानियत – एक धर्म ( भाग – तीसवां )
सिपाहियों ने आकर पांडेय जी को सलूट किया । हल्के से गर्दन हिलाकर पांडेय जी मुनीर के घर से बाहर
Read Moreसिपाहियों ने आकर पांडेय जी को सलूट किया । हल्के से गर्दन हिलाकर पांडेय जी मुनीर के घर से बाहर
Read Moreबाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं
Read Moreरमेश और रत्नाकर अच्छे मित्र थे । दोनों के घर भी ठीक आमने सामने ही थे । दोनों ने साथ
Read Moreतरह तरह के कयास लगाते रामु काका पांडेय जी के साथ पेड़ के नीचे छांव में खड़े थे । चंद
Read Moreपिछले कुछ दिनों से धार्मिक मसले ही समाचारों की सुर्खियां बनी हुई हैं । 22 अगस्त को चीर प्रतीक्षित तीन
Read Moreदरवाजे पर खड़े पांडेय जी को देखते ही उनके सम्मान में अपने दुपट्टे से सिर को ढंकते हुए शबनम ने
Read Moreसुबह के लगभग आठ बज चुके थे जब बस प्रतापगढ़ के सरकारी बस अड्डे में घुसी थी । मुनीर बस
Read Moreजब शबनम की नींद खुली , दिन काफी चढ़ चुका था । पलंग के सामने ही दीवार पर लगी घड़ी
Read Moreऔर फिर काफी उहापोह के बाद मुनीर ने फैसला कर लिया और शबनम से मुखातिब होते हुए बोला ” तुम
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