Author: डॉ. रजनी अग्रवाल "वाग्देवी रत्ना"

मुक्तक/दोहा

“शिव महिमा” दोहे

शिव महिमा”पर दोहे द्वादश लिंग बिराजते, पावन तीरथ धाम। आग नयन विष कंठधर, त्रिपुरारी प्रभु नाम।। फागुन चौदस रात को,बिल्वपत्र

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पद्य साहित्य

“त्रिपुरारी दूल्हा बने” (कुंडलिया छंद)

“त्रिपुरारी दूल्हा बने” (कुंडलिया छंद) त्रिपुरारी दूल्हा बने,स्वागत नगरी आज। आए हैं बारात ले, भस्मी तन पर साज।। भस्मी तन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महाशिवरात्रि और शिवजी की बारात

आज मैं आपको भोले की नगरी काशी की शिव बारात से रू-ब-रू कराती हूँ ,जिसमें शिवजी भस्मी रमाये दूल्हा बनकर

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सामाजिक

लेख : आज की नारी

सहधर्मिणी, संस्कारिणी, नारायणी की प्रतीक नारी की महत्ता को शास्त्रों से लेकर साहित्य तक सर्वदा स्वीकारा गया है।”यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते

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