लॉकडाउन
लॉकडाउन, कर्फ़्यू, और धारा 144 कहाँ जानती हैं तुम्हारी यादें कोई सरकारी आदेश कहाँ पालती हैं न नगर, न शहर
Read Moreआज मैंने आज को पहली बार जाना है बरसों बाद ख़ुदको ठीक से पहचाना है सदियाँ गुज़र गईं इस कश्मकश
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Read Moreना कुछ चाहूँ ना किसीको चाहूँ सबकुछ छोड़कर जोगी बन जाऊँ जी चाहता है…. ना किसीकी चिंता ना किसीकी फ़िक्र
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