गीतिका/ग़ज़ल राज रंजन 06/10/201623/10/2016 …….रखा है संग कुछ शक्सों ने ही हाथों में उठा रखा है बेवकूफों कश्मीर का क्या हाल बना रखा है तुम्हें तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल राज रंजन 03/10/201604/10/2016 ……खातिर हसरत थी कोई आता हमें भी मनाने की खातिर क्या हमारा ही दिल मिला है सताने की खातिर यहाँ कोई Read More
गीतिका/ग़ज़ल राज रंजन 28/03/2015 ग़ज़ल दिल मेँ फूल बनकर खिलती रही कुछ कुछ बातें दिल में ही शूल बनकर चुभती रही कुछ कुछ बातें जज़्बातों Read More