क्यों उठे है हाथ अबकी दुःशासनो के पक्ष मे…..
काशी हिंदू विश्वविद्यालय(BHU) में इन दिनों जो हुआ, बेहद निन्दनीय व शर्मनाक…. क्या यही अब नीति होगी देश और इस
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Read Moreमिश्रित अवधी भाषा मे एक हास्य-कविता का प्रयास….. सुंदर भैया करैं तैयारी, जाइके इलाहाबाद बाप रहे अधियाँरे मे, बेटा बिजली
Read Moreकि गूँजती रहे हिन्दी जहाँ के कोने-कोने तक सशक्त रहे कवियों मे बालपन से वृद्ध होने तक तेरे शब्द श्रृंगार
Read Moreठूँठ हो रहा है, पूरे घर को पालने वाला फलदार वृक्ष कभी वह अकेले ही पोषक बन खड़ा था डाली
Read Moreबेशक! हमें, विषाद दिया है वक्त ने, परंतु हर्ष भी दिया है वक्त ने। हार दिया है वक्त ने, परंतु
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