कविता : गोदना
प्यार था अब छल है अविश्वाश है रिश्तों की मौत है मौत की चीख है चीख में छुपा दर्द है
Read Moreप्यार था अब छल है अविश्वाश है रिश्तों की मौत है मौत की चीख है चीख में छुपा दर्द है
Read Moreजब सूरज अपने उजास को समेट रहा होगा और चाँद ने फैलानी शुरू कर दी होगी चाँदनी दोनों के मिलन
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