अँधेरी निशा
हे रजनी तेरी रश्मियाँ बादल में छुप जाती है तीसरे पहर भी नभ में तम है , नही ज्योति फैलाती
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Read Moreचार दिन की जिन्दगी है कौन यहाँ रह पायेगा एक दिन इस दुनियाँ से हर कोई जाएगा तीन कड़ियाँ जीवन
Read Moreराहों में मेरी शूल विछे हैं ठोकर से घबराऊँ क्यूँ जो बोयी हूँ वह काटूँगी अंतस नीर बहाऊं क्यूँ देख
Read Moreशौर्य त्याग बलिदान की कहानी लिखेंगे हम हिन्द के निवासी हिंदुस्तानी लिखेंगे। जो कर गए प्राण निछावर अपने देश के
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