कविता – युवा समाज बदलते जा रहे हैं
दिन हो, रात हो अब युवा हिन्द के करते आराम नहीं समाज बदल रहा है युवा, व्याकुलता का अब काम
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Read Moreजवानी जो आई बचपन की हुड़दंगी चली गई दफ़्तरी से हुए वाबस्ता१ तो आवारगी चली गई शौक़ अब रहे न
Read Moreमैं क्या मिरी आरज़ू क्या लाखों टूट गए यहाँ तू क्या तिरी जुस्तजू१ क्या लाखों छूट गए यहाँ चश्म-ए-हैराँ२ देख
Read Moreआधुनिक समाज में पुरुष आज भी सर्वोपरि है परन्तु हम यह नहीं भूल सकते कि एक महिला का जीवन मनुष्य
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