इंक़लाब लेके आएँगें मजलूम
यहाँ अब जीना भी मुहाल है ये सियासत की सब चाल है जो जवाब मालूम हो,वही पूछो इस माजरे का
Read Moreयहाँ अब जीना भी मुहाल है ये सियासत की सब चाल है जो जवाब मालूम हो,वही पूछो इस माजरे का
Read Moreमैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ सो सबसे अलग पहचान रखता हूँ बना रहे हिन्दोस्तान मेरा शहंशाह अपने तिरंगे
Read Moreन जाने किनका ख्याल आ गया रूखे-रौशन पे जमाल* आ गया जो झटक दिया इन जुल्फों को ज़माने भर का
Read Moreमाना वक़्त बुरा है तो मर जाएँ क्या अपनी ही निगाहों से उतर जाएँ क्या हर चीज़ मेरे मुताबिक हो,जरूरी
Read Moreतुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम है या फिर वही शाकी,वही मैकदा,वही जाम है शायर बिकने लगे हैं अपने ही
Read Moreकुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे छोड़ो उस आसमाँ के
Read Moreवो सीने से लगकर यूँ रो दिए जितने भी पाप थे,सारे धो दिए छूके अपनी जादुई निगाहों से जवानी के
Read Moreमेरी बातों पे गौर कीजिए जरा समझिए,फिर दाद दीजिए जरा कब तक यूँ दूसरों पे हँसा करेंगे कोई लतीफा खुद
Read Moreहर रोज़ ही कोई नई खता चाहिए इस दिल को दर्द का पता चाहिए कब तक होगा झूठा खैर मकदम
Read Moreभारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने भी बार बार कहा है कि कहा
Read More