गज़ल – ये किसी शायर की खुशनुमा शायरी नहीं
गुनहगारों का गुनाह क्या असर लाता है कि सारा शहर ही बियाबां नज़र आता है जो कदम गई यहाँ से
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Read Moreकभी मिलना उन गलियों में जहाँ छुप्पन-छुपाई में हमनें रात जगाई थी जहाँ गुड्डे-गुड़ियों की शादी में दोस्तों की बारात
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