छल-कपट का पाशा फेंकते रहिए
जब तक देख सकते हैं, देखते रहिए दूसरे की आग पर रोटी सेकते रहिए बाज़ी किसकी होगी ,किसको पता है
Read Moreजब तक देख सकते हैं, देखते रहिए दूसरे की आग पर रोटी सेकते रहिए बाज़ी किसकी होगी ,किसको पता है
Read Moreजब वो चले तो अदाओं में बहार लेके चलते हैं कभी गुलमोहर तो कभी गुलनार लेके चलते हैं जिधर देखें
Read Moreआज जब पूरा भारत बेरोज़गारी की मार झेल रहा है और लगभग हर सरकारी नौकरी किसी न किसी वजह से
Read Moreमेरा दिल मानो कि गुलाब सा खिल गया कमरे में जब तेरा खत पुराना मिल गया खाली रातें,सूने दिन और
Read Moreवो कौन है जो मेरे गुनाहों पर पर्दा डाल देता है और मेरे गुनहगार होने का डर निकाल देता है
Read Moreहर रिश्ते में थोड़ा फासला रखिए अभी से ही सही ये फैसला रखिए दूरियाँ खलेंगी लेकिन खिलेंगी भी अपने अहसासों
Read Moreतुम क्या थे मेरे लिए,अब मेरी समझ में आता है बादल छत पर मेरे , बिना बारिश गुजर जाता है
Read Moreआपकी हँसी बिन सके ,आपकी ख़ुशी बिन सके बे-तनख़्वाह बस इसी काम पर रख लीजिए हमें आपको सँवारने में हम
Read Moreकुछ देर में ये नज़ारा भी बदल जाएगा ये आसमाँ ये सितारा भी बदल जाएगा कितना मोड़ पाओगे दरिया का
Read Moreवो इस कदर बरसों से मुतमइन* है जैसे बारिश से बेनूर कोई ज़मीन है साँसें आती हैं, दिल भी धड़कता
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