पिता हि धर्म: पिता हि स्वर्ग:
धर्म सचल मूर्तिवत खड़ा निज पिता रूप से जीवन में स्वर्ग सदृश चरणों में लगता जीवन सदा सजीवन में यद्यपि
Read Moreधर्म सचल मूर्तिवत खड़ा निज पिता रूप से जीवन में स्वर्ग सदृश चरणों में लगता जीवन सदा सजीवन में यद्यपि
Read Moreहर वर्ष जला रावण जलकर सम्पूर्ण रूप ना मर पाया हर पाप पुण्य के बन्धन में फँस कर कोई ना
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