कारीगर
ज्येष्ठ का महीना अपनी प्रचंड गर्मी को धरती को बाँटने में व्यस्त है। गर्म धरती के जैसे होंठ सूख रहे
Read Moreवह अधेड़ व्यक्ति, अब ठीक उस समय पार्क में आने लग पड़ा है, जब जिं़दगी के विभिन्न रंगों में रंगी
Read Moreयह बूढ़ों का गाँव है, जिसकी सरहदों में पहँुचते ही रोशनी भी अँधेरों को भगाने का अपना हुनर भूल जाती
Read Moreमुसलाधार बारिश रात भर होती रही, शिवालिक पहाड़ियों के बीच बहती ब्यास के किनारे बसे गांव के लोग अभी अपने
Read Moreस्पेन के पर्यटकों का दल हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं की एक चोटी मून पीक को चढ़ने के लिए रात के अंधेरे
Read Moreवह अब हर रोज बगै़र कोई नागा किए आ रहा है। खुले मैदान में जहां से लोग उसके सामने से
Read Moreपहाड़ पर सर्दियों का मौसम आ चुका था। सर्दियों की शुरुआत में भरमौर गांव के एक गद्दी परिवार का भेड़ों
Read More”कौन हो तुम भाई! जो अंधेरे में इस उजाड़ रास्ते में भटक कर यहां आ गए हो”यात्री बोला, ”मैं एक
Read Moreवह हर शाम को बगैर नागा किए ठीक उसी समय बांसुरी की मीठी तान छोड़ता जब गांव की लड़कियां, बच्चे
Read Moreइस साल की बरसात पता नहीं अब क्या-क्या जुल्म ढाएगी। सीत्तू व ठुनिया अपने मचान के बाहर बड़ी मुश्किल से
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