गीतिका/ग़ज़ल संजय 'सरस' 18/10/2017 ग़ज़ल ज़रा सी ज़िंदगी के वास्ते क्या-क्या गँवाया है । कभी रातों जगाया है कभी रातों सुलाया है ।। ज़रा बैठो Read More