गांधी और ख़लीफत – भाग 3 – असहयोग आंदोलन था खलीफत के लिए!
गाँधी-वाङमय को उलटें तो एक से एक आश्चर्यजनक तथ्य उभरते हैं। “संपूर्ण गाँधी वाङमय” के खण्ड 18 से 1919 ई.
Read Moreगाँधी-वाङमय को उलटें तो एक से एक आश्चर्यजनक तथ्य उभरते हैं। “संपूर्ण गाँधी वाङमय” के खण्ड 18 से 1919 ई.
Read Moreवस्तुतः जिस तरह 1919 से 1924 ई. के बीच गाँधीजी ने खलीफत, इस्लाम, तुर्क-ऑटोमन साम्राज्य, तुर्की सुलतान की ‘जरूरतें’, हिन्दू-मुस्लिम
Read Moreदक्षिण अफ्रीका से आने के बाद भारत में गाँधी जी ने पहला राजनीतिक अभियान 1919 ई. में शुरू किया था।
Read Moreइसरो के पूर्व प्रमुख, जाने-माने वैज्ञानिक, शिक्षाविद और पद्मविभूषण से अलंकृत हिंदी नहीं मलयालम भाषी, बहुभाषाविद के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता
Read Moreदिलों का है मिलना ही सबसे ज़रूरी, बाक़ी ना रहती है फिर कोई दूरी. प्रणय-पथ पे पग तुम बढ़ाओ निरन्तर,
Read Moreआजकल अम्बेडकरवादी बौद्ध मत को वैज्ञानिक बताते हैं. यह बौद्ध अन्धविश्वास को भूल जाते हैं. चित्र में श्रीलंका के मन्दिर
Read Moreप्राचीन सभ्यताओं में से भारतीय सभ्यता ही सम्भवतः एकमात्र जीवित सभ्यता है, किन्तु विकृत रूप में। महाभारत युद्ध से भी लगभग
Read Moreनोहर के वरिष्ठ पत्रकार विद्याधर जी मिश्रा की सुपुत्री युवा साहित्यकार शालू मिश्रा को नेशनल शालू ने बहुत कम समय
Read Moreनई लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। यह हर्ष का विषय है कि राष्ट्रीयता व देश-प्रेम इन चुनावों में
Read Moreस्थानीय भगवती परिसर मालवा होजयारी मंे गर्दभ राग संस्था द्वारा हास्य कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई। आमंत्रित कविगण सर्वश्री इसरार मोहम्मद
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