कविता – गरीब
कुछ करना चाहता हूँ, पर कुछ कर नही पाता हूँ । आगे बढ़ना चाहता हूँ, पर आगे बढ़ नही पाता
Read Moreकुछ करना चाहता हूँ, पर कुछ कर नही पाता हूँ । आगे बढ़ना चाहता हूँ, पर आगे बढ़ नही पाता
Read Moreरोज काल का ग्रास बन रही आसिफा, फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा । देश चल रहा नफरत से ही, फिर
Read Moreहिंदी साहित्य समृद्धि मंच मुजफ्फरपुर, बिहार के पटल पर मासिक ई-पत्रिका नए गगन के पहले अंक का विमोचन गुरुवार रात
Read Moreअज्ञानता दूर करके गुरुजी ने, ज्ञान की ज्योती जलाया है । गुरु जी के चरणों में रहकर, हमने सब शिक्षा
Read Moreमजदूरी करके भी हमको उसने पढ़ाया है। कचौड़ी के बदले उसने सूखी रोटी खाया है। हम पढ़-लिखकर इन्सान बनेंगे, यह
Read Moreहक के लिए आवाज उठाया तो सही, आवाज में हमारे वजनदारी चाहिए। देश हमारा प्यारा, श्रेष्ठ और सच्चा है, बस
Read Moreगरीब को कोई गरीब ना कहे, आप कुछ ऐसा काम कीजिए । देश में कोई गरीब ना रहे, आप कुछ
Read Moreपता नही किस शहर में, किस गली तुम चली गई। मै ढूँढ़ता रह गया,तुम छोड़ गई । पता नही हम
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