स्वतंत्र मुक्तक
जो तुम्हारे मन को भा जाए,मैं वो प्रीत लिख दूंगी। जगाएं जो दिलों में सपने सुहाने,मैं वो गीत लिख दूंगी।
Read Moreजो तुम्हारे मन को भा जाए,मैं वो प्रीत लिख दूंगी। जगाएं जो दिलों में सपने सुहाने,मैं वो गीत लिख दूंगी।
Read More“”हम मुसाफिर है नई राहों के”” असफलताएं तो तेरी,मात्र क्षणभंगुर है। फूटा तेरे मस्तिष्क में,ज्ञान का अंकुर है।। धैर्य की
Read Moreकाम बने या बिगड़े, तुम कोशिश करते जाना। बढ़ते रहें जो कदम तेरे, मिलके रहेगा मंजिल का ठिकाना ।। कभी
Read Moreविचारों का दर्पण-दृष्टिकोण किसी भी दृश्य की सुन्दरता देखने वाले की दृष्टि की पवित्रता पर निर्भर करती हैं। यदि
Read More“”तालिबान का क्रूर शासन”” यह बिल्कुल सच है कि आज अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है वह मानवीय
Read Moreमेरी लिखनी यहां पढ़ेगा कौन? शब्द मेरे गुमनामी में हैं कलम पड़ी है मेरी मौन मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन?
Read Moreमेरी लेखनी यहां पढ़ेगा कौन शब्द मेरे गुमनामी में हैं कलम पड़ी है मेरी मौन मेरी लेखनी यहां पढ़ेगा
Read Moreज्यादा पुरानी बात नहीं है, स्कूल के शुरूआती दिनों में ही उससे मुलाकात हो गई थी। उसकी आंखों में एक
Read Moreतुम्हें मंज़िल चाहिए तो राहों पर चलना होगा, मजबूर नहीं मज़बूत बनकर चलना होगा, तुम्हें राहों में मिल जाएंगे गिराने
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