कविता
आसमान से तारे तोड़ लाने की जिद पाले हुए सुनहरे भविष्य के गर्त में बैठा हूँ मैं कचरे के ढेर
Read Moreमेरे सुहाग की लाली समर्पित है उन नौजवानों को जिनकी हर सुबह अपने सीने पर गोली खाने की कवायद के
Read Moreगर्दन झुका कर पीली रौशनी में नहाई वह लड़की गुमसुम सी बैठी है चुपचाप लैम्प पोस्ट के नीचे —— ख्वाब
Read Moreमेरा सौन्दर्य तुमसे अछूता रहा आज तक न जान पाई सूने माथे में मैं मासूम दिखती हूँ या सिंदूरी मांग
Read Moreघुप्प अकेले अंधेरे कमरे मेँ वीरानगी छा जाती है जब कोई हो अकेला नितांत अकेला . . . यह दुनिया,ये
Read Moreलौट आई है वही खुशबू सांसोँ की महक चाय के प्यालो की साथ मेँ लौट आई है वही कहकहे सूने
Read More