दहेज : एक सामाजिक अभिशाप
दहेज जो पहले माना जाता था एक उपहार, लेकिन… उसी के कारण आज नारी हो रही है लाचार। दहेज के
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Read Moreभारतीयता की पहिचान, हिन्दी बिना अधूरी है। इसीलिए हिन्दी की शिक्षा; सबके लिए जरूरी है।। भारतीयता की पहिचान… हिन्दु हों
Read Moreदेशकाल परिस्थिति के साथ ही बढ़ जाती हैं आवश्यकताऐं। पूर्ण हुई यदि न आवश्यकता तो बन जाती हैं समस्याऐं।। ले
Read Moreपर्यावरण के ये वन प्रहरी, सुंदर धरती है यह देन। हरा-भरा जीवन ये देते; दृश्य सुहाने देखते नैन।। वन हमारे
Read Moreराष्ट्र में अधिकांश भ्रष्टाचार फैला जा रहा है। नित्य ही नैतिकता का नाश होता जा रहा है।। मानवों में बढ़
Read Moreसंवत् बिसवीं सत्तर का सफल, बना सौर यान यह मिथुन भ्रमर। आषाढ़ मास की दुर्तिथि अंदर, रात्रि मध्य में उठ
Read Moreसुधार राष्ट्र का करना, तो सबको प्रेम से रहना। इसी प्रेम से दुनिया तो; सभी का मानती कहना।। हमारे इन
Read Moreमां तो सिर्फ मां ही होती, क्योंकि… ममताभाव से परिपूरित होती। बच्चे की हर सांस होती मां, बालपन की आस
Read Moreफाल्गुन प्यारा आया रे, कि खेलते होली हैं वृज की। क्योंकि बसंत बहार है।।••• वृज की जो होली कृष्ण ने
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