गीतिका/ग़ज़ल डॉ. शशि जोशी "शशी" 05/12/2017 गज़ल मेरे भीतर रोज़ तमाशा होता है ! रोना -धोना ,हँसना -गाना होता है ! चुपके -चुपके कुछ पगले अरमानों का, Read More
गीत/नवगीत डॉ. शशि जोशी "शशी" 05/12/2017 गीत वासना के नगर तो हैं पनपे मगर , नेह के गाँव जाने कहाँ खो गए ! प्यार देकर जिसे Read More