कुण्डली/छंद शिव चाहर 'मयंक' 29/12/2015 चौपाई छंद / शिव चाहर मयंक चौपाई छंद— बदल गया है भारत देश! जबसे हुआ पश्चिमी भेष! रोज झेलते दिल पर ठेस। क्यूँ बदला अपना Read More
कुण्डली/छंद शिव चाहर 'मयंक' 29/12/201528/12/2015 लावणी छंद मानव कुल में जन्म लिया है, कर्म घिनौने करते हैं! गली गली में रावण बैठे, नित पर नारी हरते हैं! Read More
गीतिका/ग़ज़ल शिव चाहर 'मयंक' 28/12/2015 ग़ज़ल तुम अगर साथ हो तो सँवर जाएंगे! बिन तुम्हारे सनम हम बिखर जाएँगे ! हमने छोडा जमाना तुम्हारा लिए! तुमने Read More