ग़ज़ल
जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग
Read Moreजब मिटा कर नगर गया होगा क्या वो लम्हा ठहर गया होगा आइने की उसे न थी आदत खुद से
Read Moreजीवन नैया डांवांडोल बाबा अब तो आँखें खोल खुल जायेगी तेरी पोल खुद को इतना भी न टटोल प्यार में
Read Moreअजनबी खुद को लगे हम इस कदर तन्हा हुए हम उम्र भर इस सोच में थे क्या कभी सोचे गए
Read Moreजब हमारी बेबसी पर मुस्करायीं हसरतें हमने ख़ुद अपने ही हाथों से जलाईं हसरतें ये कहीं खुद्दार के क़दमों तले
Read Moreपेड़ के फलदार बनने की कहानी रस भरी है शाख़ लेकिन मौसमों के हर सितम को झेलती है सैकड़ों बातें
Read Moreजाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग
Read More