कविता सिनालि पतिरण 12/02/2022 दिल तुम समझ लो सच बरसों पहले उसने लगायी इक ख़ुशी भरी निगाह, पर ख़ुशी के पीछे, छिपी थी ग़म की भी छाया। दिलकश तो Read More
कविता सिनालि पतिरण 12/02/202201/04/2022 ख़ामोशी माँ की स्निग्ध कोख में, अंधेरे में है ख़ामोशी। गाँव के कोने के मंदिर के, पीपल वृक्ष के तले है Read More