लघु कथा – लक्ष्य के लिए
उसने अपना काम धंधा नहीं छोड़ा, गाँव के सरपंच से रात्रि में खुले विध्यालय के बारे पता किया और दाखिला
Read Moreउसने अपना काम धंधा नहीं छोड़ा, गाँव के सरपंच से रात्रि में खुले विध्यालय के बारे पता किया और दाखिला
Read Moreये जिंदगी भी तो है इक सिनेमा नए किरदार नए अभिनय रंग अनेक कभी श्वेत श्याम सी यादें कभी रंग
Read Moreआजादी को देश की, बीते कितने साल वीरों के बलिदान से, हुई धरा ये लाल हुई धरा ये लाल, दर्द
Read Moreनारी को यूँ ही मत समझो, नारी है धरती की शान पढ़ लिखकर अब खूब बनाए, खुद ही यह अपनी
Read Moreचंचल नदिया जैसा ये मन बह जाता भावों में ये मन उलझन में है हर पल रहता बुनता ताने बाने
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