लघुकथा – विडम्बना
रात का एक बजा है और वह रसोईघर में ही बैठी है। पहले कुछ देर पढ़ती रही फिर फोन की
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Read More(सन्दीप तोमर देश की राजधानी दिल्ली में रहकर साहित्य सेवा कर रहे हैं, मूल रूप से वे उत्तर प्रदेश के
Read More“धरा नहीं जो धारण कर ले… आसमान है पिता ,बरसता है नेह बनकर दूर से चुपचाप….” पिता होना माँ होने से
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