मतलब के रिश्ते
होते है जो मतलब के, वे रिश्ते पिसते रहते है, घावों से ज्यों रक्त निकलता, वैसे रिसते रहते है। जीवन
Read Moreहोते है जो मतलब के, वे रिश्ते पिसते रहते है, घावों से ज्यों रक्त निकलता, वैसे रिसते रहते है। जीवन
Read Moreबारीकियों से सीखता ही आ रहा हूं, चाहता हूं मैं जरा सी जिंदगी। अनुभवों का मैं लबादा ओढ़कर, ना किसी
Read Moreपिछले रविवार को चुन्नु-मुन्नू बिट्टू के घर गए, बिट्टू की साइकिल को देख उनके सपने भर गए, चुन्नु मुन्नू से
Read Moreप्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा, जब तक देश न उठे, ये भाव दफ़न होगा, चाहता हूं तू भी शामिल
Read Moreअब भी शेष है, संस्कृति वस्त्र तन पर, अमीरी उसे हटा दो.. मैं भारत हूं, संस्कृति का पुरोधा मुझे लुटा
Read Moreसुबह-सुबह सूरज दादा की किरण पड़ी, पड़ते ही चुन्नु-मुन्नू की नींद उड़ी, चुन्नु और मुन्नू ने ली अंगड़ाई, उठकर नानाजी
Read Moreहम यादों के मुसाफ़िर है, यादों के सहारे जीते हैं…! कुछ लफ्ज़ शिकायत करते है, कुछ ग़म के प्याले पीते
Read Moreविलम्ब के घन हो धड़ाधड़, चपला की हूंकार गड़ागड़, बूंदें गिरती है तड़ातड़, अश्रुओं के वीर… अब कहां है धीर?
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