रूठी कलम
आज कोरे कागज पर, इन्सानों की अच्छाई पर, लिखने की इच्छा हुई। कागज सहम- सा गया और कलम भी थम-
Read Moreजाल बिछाया छलिया अहेरी, कहां समझ पाई मैं नन्ही कनेरी? देकर मुझे अधम ने प्रलोभन, छीन लिया मेरा उन्मुक्त गगन।
Read Moreपरिवर्तन के साथ खुद को ढालना, जीवन में ना कभी हार मानना, शांति, संघर्ष,उम्मीद, उदारता, गरिमा का पाठ पढ़ाती है,
Read Moreमिला मुझे रास्ते में ,बैठा पंछी एक डाल पर। बना रहा था घोसला ,तिनका तिनका जोड़ कर।। आयी तेज आंधी
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