लघुकथा : उम्म़ीद
लगभग साल भर हो गया आफिया के अब्बाज़ान अफ़ज़ल मियाँ का इंतकाल हुए। हर साल अफ़ज़ल आफिया-रियाज की शादी के
Read Moreलगभग साल भर हो गया आफिया के अब्बाज़ान अफ़ज़ल मियाँ का इंतकाल हुए। हर साल अफ़ज़ल आफिया-रियाज की शादी के
Read Moreरूपाली और दिनेश को अपने घर की ओर आते देख कर भारती समझ गयी कि वे दोनों प्रदीप के घर
Read More‘शीबू को मैं उसके स्कूल छोड़ कर आ गया; तूने अभी तक खाना बनाना शुरु नहीं किया है। हद हो
Read Moreअपने गुरु महर्षि धौम्य की आज्ञा पाकर आज शाम को आरूणि खेत गया। पहुँचकर देखा कि मेड़ कटी हुई है।
Read Moreइस बार ओड़गाँव के गाँधीपारा के बच्चों को होली का बेसब्री से इंतजार था। सबने होली मनाने की बात अपने-अपने
Read Moreयदि समाज के समस्त चारित्रिक घटनाक्रम साहित्य में प्रतिबिम्बित होता है, तो उस घटनाक्रम का जीवंत दर्शन होता है सिनेमा
Read Moreयोगिता को अच्छी ससुराल मिली। हरीश के रूप में मन-माफिक नौकरीपेशा पति मिला। शादी के साल भर बाद माँ बन
Read Moreआखिर उस दिन देवव्रत को अपने पिता शांतनु के चिंतित रहने का कारण पता चल ही गया। उसने आजीवन अविवाहित
Read Moreयशु सुबह उठा। दौड़ते हुए बाथरूम गया। वापस आया। देखा, मम्मी किचन में व्यस्त है। गरम-गरम रोटियाँ सेंक रही है।
Read Moreएक मनोविज्ञान के छात्र ने अपने सेवानिवृत्त अध्यापक पिता से पूछा- ” बाबूजी ! मैंने एक उदाहरण से सुख की
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