बाल कहानी : सबक
यशु सुबह उठा। दौड़ते हुए बाथरूम गया। वापस आया। देखा, मम्मी किचन में व्यस्त है। गरम-गरम रोटियाँ सेंक रही है।
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Read Moreएक मनोविज्ञान के छात्र ने अपने सेवानिवृत्त अध्यापक पिता से पूछा- ” बाबूजी ! मैंने एक उदाहरण से सुख की
Read Moreशिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के तहत रूम टू रीड के सहयोग तथा एस सी ई आर टी रायपुर के मार्गदर्शन
Read Moreजैसे भी करके नन्हा कुणाल टेबल को सरकाते हुए दीवार तक ले गया। टेबल पर चढ़ा। गौरैये के घोंसले तक
Read Moreइस बार सावन महीने में खूब बारिश हुई। लगातार तेरह दिनों तक सूरज के दर्शन नसीब नहीं हुए। अत्यधिक बारिश
Read Moreभूषण खाना खाकर उठा। सोफे पर बैठकर मोजे को पहनने के लिए झड़ना लगा। सुखिया समझ गयी कि आज उसे
Read Moreसावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreबांधा तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। मोटे व गठीले तने पर मोटी-मोटी शाखाएँ निकली हुई
Read Moreराजेन्द्र और रोहिणी के बीच तलाक हुए दस बरस बीत गये। गौरव की परवरिश राजेन्द्र ने किया। गीतिका रोहिणी के
Read Moreजाम-कच्छार से होकर गब्दीनाला बहता था। नाले के किनारे तरह-तरह के बड़े-बड़े वृक्ष थे। हर वृक्ष पर किसी न किसी
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