लघुकथा : अस्तित्व
आज मैंने अचानक उसे देख लिया। वह मैली-कुचैली साड़ी में लिपटी थी। अनमनी-सी लगी। पूछ बैठा। ” कौन हो तुम
Read Moreआज मैंने अचानक उसे देख लिया। वह मैली-कुचैली साड़ी में लिपटी थी। अनमनी-सी लगी। पूछ बैठा। ” कौन हो तुम
Read Moreएक शख़्स को देखते ही यशवंत को अपना हाई स्कूल स्टडी लेवल याद गया। मीडिल स्कूल की अपेक्षा हाई स्कूल
Read Moreपिछले फ्राइडे को सांसद का आगमन हुआ। उनका खूब आवभगत हुआ। बड़े खुश होकर लौटे थे सांसद महोदय भी। अंचल
Read Moreहर साल की तरह इस साल भी दशहरा के अवसर पर श्रीरामलीला का मंचन होना था। आसपास के क्षेत्र में
Read Moreसावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreअगस्त माह की पंद्रह तारीख थी। सुबह का समय था। ध्वजारोहण के पश्चात प्रभातफेरी के
Read Moreशाॅर्ट रिसेस के बाद क्लास में बैठने की घंटी लगी। बच्चे अपनी-अपनी क्लास में बैठने लगे। कक्षा पाँचवी के छात्र
Read More“तुझसे वो इतनी मुहब्ब़त करता है, तो फिर इस्लाम क्यों नहीं कुबूल कर लेता।” ज़ुबेर मियाँ बोले।
Read Moreगर्मी का मौसम था। स्कूलों की छुट्टियाँ हो चुकी थी। प्रिया का भी स्कूल जाना बंद हो गया था। कक्षा
Read Moreरानी कोयल और मनु बंदर की कलाकारी से सिंघोला बाग ही नहीं; वरन् आसपास की सारी बगिया वाकिफ थी। रानी
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