“पगली” कहीं की..
अक्सर कुछ शब्द उन्हीं शब्दों से जुड़ी बात और उन्हीं बातो से जुड़े लोग मात्र हँसी के पात्र बनकर रह
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Read Moreहूँ तो सही… ढ़ूढ़ो तो यहीं-कहीं पता है यहीं हूँ ना दूर-दराज,दिन-दोपहर सुबह-शाम,ज़मी-ऑसमा ।। हूँ तो सही… बन धरा पे
Read Moreचंदन बन वंदन करें देश की माटी हम, नित नित तुझे नमन करे ।। पर्वत पठार कल-कल छल-छल बहती अविरल धारा
Read Moreपर्याय जहाँ.. भाव-भावना हो । विलोम जहाँ.. स्वर-स्वरशाला न हो । सुगंध यहाँ.. संवाद-संवेदना की हो । वैचारिकताओं में यहाँ..
Read Moreइंतजार की कश्ती ये अरमानों की कलम राह-ए-जिन्दगानी में अब न होगी कम ।। मौसम का खुमार ये पवन की
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