Author: उमा मेहता त्रिवेदी

कविता

“स्वर-व्यंजन” की मिश्रित भाषा ये “काव्या”

पर्याय जहाँ.. भाव-भावना हो । विलोम जहाँ.. स्वर-स्वरशाला न हो । सुगंध यहाँ.. संवाद-संवेदना की हो । वैचारिकताओं में यहाँ..

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