कविता : एहसास तुम्हारा
कल तक मोहब्बत का एहसास ना था तुमसे मिलके जाना की क्या होती है मोहब्बत रोज जीते थे हम मगर
Read Moreकल तक मोहब्बत का एहसास ना था तुमसे मिलके जाना की क्या होती है मोहब्बत रोज जीते थे हम मगर
Read Moreअब सुकून से रो भी नही पाते हैं हम कोई देख न ले बहते आंसू मेरे तो सब जब सो
Read Moreप्यार कभी नही मरता…. बस सांसे साथ छोड़ देती है, वरना हमे उनसे साथ मोहब्बत कितनी ये एक रोज उनको बता
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