कविता प्रो. उपुल रंजित हेवावितानगमगे , श्रीलंका 09/10/2014 कल और आज कल – नयन खोलकर देखता रहा आने तक तुम स्नेह को पाने प्यार का… आज – नयन खोलकर देखता रहा Read More
कविता प्रो. उपुल रंजित हेवावितानगमगे , श्रीलंका 09/10/201409/10/2014 हे श्याम ! हे श्याम कहां गये ओ श्याम ! कहां गये घनश्याम ! यमुना जल में मीन वेष में तुम छिप गये Read More