ग़ज़ल : हर कोई मौकापरस्त…
मुसाफिर बदहवास तलाश मंजिल की क्या करूं , चल रही साँस है नहीं किसी की आस , क्या करूं.|| बजते
Read Moreमुसाफिर बदहवास तलाश मंजिल की क्या करूं , चल रही साँस है नहीं किसी की आस , क्या करूं.|| बजते
Read Moreकतरा कतरा लहू सडक पर बिखरा पड़ा है सभ्यता सिसक रही है …बम भडक उठे ,संगीने तनी हैं और हम
Read More“खंजर की चमक खनक तलवार की खौफ से जीता था दुश्मन सदा जिसके वार से कांपते थे दिल ..डोलती थी
Read More