बालकविता : दंतुरित मुस्कान तुम्हारी
दंतुरित मुस्कान तुम्हारी हमको लगती अति प्यारी बगैर इसके रह नहीं पाते दर्द तुम्हारा सह नहीं पाते देख तुम्हारी आँखें
Read Moreदंतुरित मुस्कान तुम्हारी हमको लगती अति प्यारी बगैर इसके रह नहीं पाते दर्द तुम्हारा सह नहीं पाते देख तुम्हारी आँखें
Read Moreसत्य की राह पर चलती है किसी से वह न डरती है अनजाने चेहरों के बीच जोश में जब वह
Read Moreकाले मेघा-काले मेघा, इतना ऊपर क्यों छाया है। राज हमें ये पता चल गया, बारिश का मौसम तू लाया है।
Read Moreकड़ी धूप में, चल रहा है अकेला। आँखों के सामने, हो रहा है अँधेरा। मन चंचल, भारी हो रहा है
Read Moreहैं किसी अपने की तलाश में इधर-उधर ताकतीं हैं लोग तो कई हैं पास में फिर भी खुद को तनहा
Read Moreचीं-चीं करती आई एक चिड़िया अपनी कहानी मुझे बतलाई मैने पूछा हुआ है क्या रो-रो कर अपनी व्यथा सुनाई वह
Read Moreन चाहते हुए भी, वह वही काम करते हैं। मालूम है उन्हें कि, वह खूबसूरत नहीं। साहब! वह तो सिर्फ,
Read Moreमंद-मंद हवा के झोंके, छू कर जाते तन को मेरे। मन में उठते नए विचार, करता हूँ हवा का आभार।
Read Moreसुबह का समय था। मैं अपने घर के आंगन में बैठा हुआ था। सूर्य की किरणें जैसे ही चेहरे पर पड़तीं
Read More