मजदूर हूँ मै
मजदूर हूँ मै मजबूर नहीं , स्वर्ग सी धरा मेरी मेहनत है मरु हरी-भरी कृषि सेवक हूँ पत्थर चीरकर भव्य
Read Moreमजदूर हूँ मै मजबूर नहीं , स्वर्ग सी धरा मेरी मेहनत है मरु हरी-भरी कृषि सेवक हूँ पत्थर चीरकर भव्य
Read Moreजिन्दगी में , दूरियों से मिले , नजदीकियाँ खिले , कोरोना काल में , मनुज मनुज से मिले , मानवता
Read Moreदहशत मे रहता है पसीजता रहता है कुपोषित रहता है हीन सब मानते है फिर भी ईमान मौन क्यों
Read Moreजोश में है कोरोना , बढ रहा है राज , खौफ से दूनिया में , सन्नाटा पसरा । सुनसान
Read Moreमेरे प्यारे पापा बोलो कहाँ खेलूं मै खेल , मोबाइल से दूर किया , फिर देते हो मोबाइल मुझे नहीं
Read Moreसोचकर देखो जरा कहाँ , क्या-क्या बदला है , और क्या-क्या बदलेगा , जादु की जप्पी , दो गज दूरी
Read Moreलोकडाउन कैद न समझो इसे , ध्यान , साधना और भगवद्भक्ति का काल है । लोकडाउन कैद न समझो
Read Moreभीड़ बहुत है , मेरे शहर में पर , कोई करीब नहीं , दूर से गुफ्तगू करें । दिल के
Read Moreकोरोना से लडेंगे, घर में ही रहेंगे, न निकलेंगे, न निकलने देंगे, अपने घर में आने न देंगे, पर कुछ
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