मौन रहो
मानवता की नयी रीत आ गयी , आदमी भरी भीड़ आइसोलेट है., जब खुद को ही नहीं जानता , तो
Read Moreकाफिला गुजर गया , ढोल पीटते रह गये , कीचड़ उछालते रहे , कोरोना बढता गया ,
Read Moreसूरज न सही एक दीप ही रोशन करें अँधेरे तोडऩे ।। देख रहा हूँ चहूँ ओर ही जात-पात का पन्थवाद
Read Moreलफ्जों को मेरी खबर नहीं है , आँखों में तेरी मञ्जर नहीं है , रब है मन मे तो कहर
Read Moreकोरोना आन्दोलन सौ करोड़ जब हाथ , है देश के साथ , नहीं रहेगी कोई कमी , देश और दुनिया
Read Moreबियाबान शहर, मौन है सड़कें, कहाँ है आदमी ठहर गयीं जिन्दगी, कैसी है ये दस्तक, कैसा है ये कोरोना, चींटी
Read Moreकोरोना ले रहा करवट , बह रही है बयार त्वरित , विस्फोटक होंगे मामले , अगले कुछ दिनों में ,
Read More“”अन्तर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस” पर शब्द सुमन.. ****लाकडाउन कबूल कीजिए**** जिन्दगी खूबसूरत है, जिन्दगी के ही लिए लाकडाउन
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