Author: डॉ. वीरेन्द्र प्रताप सिंह 'भ्रमर'

गीत/नवगीत

गीत –  ताकते हैं नैन खंजन (गीतिका छंद)

थाम लो भुजपाश आकुल आ परिधि में प्राणधन, ताकते  हैं  नैन-खंजन  आज  त्रिज्या  व्यास  पर। अधखुले  मृदुहास  रंजित यदि पुकारें

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