कविता : लक्ष्य
चलने से पहले सोंच समझकर अपने लक्ष्य की रेखाएँ खींचना चाहता हूँ। लक्ष्यहीन भटकन से बचकर उस मंजिल तक पहुंचना
Read Moreचलने से पहले सोंच समझकर अपने लक्ष्य की रेखाएँ खींचना चाहता हूँ। लक्ष्यहीन भटकन से बचकर उस मंजिल तक पहुंचना
Read More(1) मोहभंग आक्रोश की इस घडी में आइए सिध्दार्थ, कबीर की तरह समाज धर्म की बुरी विचारधारा पर प्रहार करें।
Read More