ताजी खबर : ताजी कुंडलिया
कहता पीपल आम से, चुपके-चुपके बात। आज दिवस है कौन सा, जो है लगी जमात। जो है लगी जमात, शुरू
Read Moreकहता पीपल आम से, चुपके-चुपके बात। आज दिवस है कौन सा, जो है लगी जमात। जो है लगी जमात, शुरू
Read Moreहमला जो छुपकर किए, सभी बड़े हैरान। मौत हुई है बीस की, घायल और जवान। घायल और जवान, उग्रवादी क्या
Read Moreगरमी से बेहाल हैं, पशु-पंक्षी-इंसान। तड़प रहे दिन-रात अब, सूझे नहीं निदान। सूझे नहीं निदान, हाल लाइट के ऐसे। झलक
Read Moreबारिश अबकी बार कम, होने का अनुमान। बेचारे इस सोच में, बैठे मरे किसान। बैठे मरे किसान, फसल कैसे बोएंगे।
Read Moreमैगी वाला मामला, पकड़ चुका है तूल। मानव धन के सामने, भूला सभी वसूल। भूला सभी वसूल, नहीं चिंता बंदोँ
Read Moreमौका था यह आठवाँ, जब कर मन की बात। प्रकट किए गहरे तनिक, अबकी वो जज्बात। अबकी वो जज्बात, सफलता
Read Moreआया ऐसा जलजला, हिला पुनः जापान। जिसके कारण देखिए, काँपा हिंदुस्तान। काँपा हिंदुस्तान, राजधानी फिर डोली। देती प्रकृति जवाब, पाप
Read Moreअपने हिंदुस्तान में, रहें सिर्फ चुपचाप। लोकतंत्र कैसा यहाँ, इससे अच्छी खाप। इससे अच्छी खाप, जुबां पर ताला डालें। अभी
Read Moreदेखो त्रिपुरा से हटा, ‘आफस्पा’ कानून। जनता जिससे त्रस्त थी, लंबा था मजमून। लंबा था मजमून, चला है वर्ष अठारह।
Read Moreगरमी का पारा गया,सीमा को कर पार। मरे सैकड़ों आदमी,चहुँ दिश हाहाकार। चहुँ दिश हाहाकार,हाल हैं खस्ता सबके। पशु-पक्षी-इंसान,हार माने
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