कविता – इंद्रधनुष रूपी प्रेम
इंद्रधनुष सा प्रेम मेरा रंगों से परिपूर्ण है ठीक वैसे ही जैसे जिन्द्गी एक रंगमंच जहा रोज़ नये रंग मंच
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