अस्तित्व की पहचान
आज मैंने आज को पहली बार जाना है बरसों बाद ख़ुदको ठीक से पहचाना है सदियाँ गुज़र गईं इस कश्मकश
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Read Moreइंद्रधनुष सा प्रेम मेरा रंगों से परिपूर्ण है ठीक वैसे ही जैसे जिन्द्गी एक रंगमंच जहा रोज़ नये रंग मंच
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