कविता अशर्फी लाल मिश्र 22/01/202224/01/2022 कविता, कोहरा, सर्दी कोहरे की अब दादागीरी लगा माघ शीत अति भारी, कैसे बिताऊँ ठंढ अनियारी। हाड़ कांपै अग्नी सीरी, कोहरे की अब दादागीरी। शीत मीत Read More